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बचपन

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बचपन बचपन क्या है ? अंत हीन कंटीली, मरुथल में दो अंजुरी पानी। भूत बैताल वाली लम्बी सपनों में एक परी की कहानी। बचपन क्या है ? जहां से आगे निकल आने के बाद, पलटने की बेचैनी, पर पीछे लौटने नही देता , कांधे पर झूलता, ,  आगे बढ़ने की बेबसी। बचपन क्या है ? उन्मुक्त अम्बर में, मुक्त कंठ से, गाते परिंदों की उड़ान। मासूमियत भरा चेहरा, और शैतानी भरा दांव। बदमाश टेक्नोलॉजी की विस्फोटक कहानी। बचपन क्या है? रेत में दो अंजुरी पानी? भूत बैताल व एक परी की कहानी? ! डॉ यू पी सिंह 02.01.2022

असत्य से मुंह छुपाता सत्य

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सत्य बोलने के लिए दो लोग चाहिए होते हैं:  एक वह जिसके अंदर सच बोलने का साहस हो और दूसरा जिसके अंदर सच सुनने की सहनशक्ति।  • आजकल सत्य इसीलिए लुप्त होता जा रहा है। वह सहिष्णुता नदारद हो गयी है जो सच सुन सके, विशेषकर वह सच जो अनुकूल न हो। वह जमाना, वे लोग, वह संस्कृति कब का चला गया, जो आंगन के निंदक के लिए कुटिया बनाता था। अब तो सच बोलना तो दूर बोलना भी है गुनाह। कुछ इस तरह जैसा दुष्यंत कुमार ने महसूस किया था।  मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं, बोलना भी है मना सच बोलना तो दरकिनार। आप ढूंढते रहिए सच बोलने वालों को, वह शख्स शायद मिल भी जाय लेकिन सच बोलते हुए नही मिलेगा, इसलिए नही कि उसके पास बोलने के लिए सच नही है। आज भी सच बोलने की इच्छा सबको है परन्तु सच को सुनने वाले नही रहे, सच सहने वाले नही हैं। जो सच किरदार को इनाम का हकदार बनाता था, आज वही दया का पात्र बना देता है। सच की तासीर तो फायदेमंद हो सकता है पर ज़ायका बहुत कड़वा होता है, नाक़ाबिले बर्दास्त होता। सत्य की सच्चाई ठीक उसी तरह है कि सब चाहते है भगत सिंह पैदा हो परन्तु पड़ोसियों के घर (कौन अपने बेटे को फांसी पर लटक

कुछ लिखो तो सही...

थोड़ा ही लिखो पर कुछ लिखो तो सही अपनी ही कविता में खुद दिखो तो सही, व्याकरण, विन्यास, शब्द भले न हो पर अपने मंच पर टिको तो सही। किताबी पन्नों में छपे भले ही न हो पर अपनी कीमत पर बिको तो सही सब कुछ तुम्हारे मन का भले ही न हो, पर कुछ तो अपने दिल की कहो तो सही। ! डॉ यू पी सिंह 16.02.2021

निश्चय ही

निश्चय ही.... निश्चय ही...... तुम कभी तो मुझको .....याद करते होगे... दो  लम्हें तो मेरे लिए.....बर्बाद करते होगे  जब पगडंडियों से होकर, शाम उतरती होगी...  पकड़ कर डंडी, रात छत पर चढ़ती होगी..  तुम रात भर चांद से ,मेरी बात तो करते होगे ... बात करते-करते रात से ,प्रभात तो करते होगे.. कभी पड़े मिलते होंगे , मेरे कहे अनकहे शब्द ... अनायास ही  तुम,हो जाते होगे निशब्द ., दो घड़ी को मेरे लिए,उपलब्ध तो होते होगे..  दूर कहीं शून्य में जाकर ,मन तो खोते होगे... तुम कभी तो मुझको .....याद करते होगे... दो  लम्हें तो मेरे लिए.....बर्बाद करते होगे।। ! डॉ यू पी सिंह 05.02.2021

Thought of the Day

Thought of the Day        When we don't recieve sufficient quality and quantity of love during our childhood, we seek it all our life. We will always feel an emotional defficiency, a longing an insecurity that we will try to fill up. To feel completely loved as a child , three conditions must exist -      1.    Our parents must love themselves, if they does not likes themselves they have little love to their     childrens.          2.    Parent must love each other . The kindest thing that a man can do for his childrens is to love their mother and the reverse is also true.       3.   Parent must love their children. Many parents do not love their childrens because they did not  have the time or because of conflicts and problems in houshold.           the important thing to know is that whether the parents loved you are not, you are still a valuable and worthwhile person. Most adults hold the lack of love in their childhood against their parents . the message that for some reason mo

NANI

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खेले ब्लैक मनी , ब्लैक मनी

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तब  और ---------------------------------------------------------------------------------------- अब------------------------------------------------------------------------------------------------- अगर यह सच है - " वित् मंत्री भारत सरकार अरुण जेटली ने कहा है कि 1995 के किसी कानून या समझौते के कारण हम काला धन वालों के नाम नही बतला सकते" । तो 6 साल तक अटल बिहारी वाजपयी की बीजेपी सरकार थी तब याद नही आया कानून या समझौता बदलना है । 4 महीने से ज्यादा " साहेब " की सरकार को "मित्रयो , भाईयो बहेनो " करते हुए फिर भी कुछ नही किया । अम्बानी खानदान के साथ ही कितने संघी हैं जिनको बचाने का जुगाड़ आप कर रहे हैं । विपक्ष में रहते हुए सालों साल आरोप लगते रहे UPA पर,  कि सरकार नाम इसलिए छिपा रही है की कांग्रेसी नाम है. क्या मोदी जी और उनकी टीम अनपढ़ और बुद्धिहीन थी की उस समझौते को पढ़ नहीं पाये.  आज उसी की आड़ लेकर नाम छुपाये जा रहे है, क्या देश की जनता यह नहीं मान ले की bjp वालो का नाम है इसलिए नहीं बताया जा रहा है ? मोदी जी 5 - 5 सौ रुपये के आधे अधूरे खाते  खुलवाने के