नेताजी सुभाष चन्द्र बोष - अमर रहे।




नेताजी सुभाष चन्द्र बोष के जन्मदिन के उत्सव पर गंभीर विचार की जरुरत है क्या नेताजी आज के भारत को देख कर  संतुष्ट  होते जितने हम नागरिक है , गर्वान्वित होते जितने हमारे शासक बताते है? क्या नेताजी ने अपने आप को इस लिए न्योछावर किया कि आजाद भारत में नेता राष्ट्र की धमनियों व शिराओ से शोणित सोख ले। हम शक्तिहीन हो गए है या हमारा शोषक ( शासक ) अंग्रेजो से भी ताकतवर या आतताई हो गया है ? क्या हमारे अन्दर से निष्ठ भारतीय का विद्रोह मर चूका है? हमसे शायद आज के दिन नेताजी की आत्मा जरुर सवाल कर रही होगी। क्या हम आँख मिलकर सकारात्मक या हां में जबाब दे सकेंगे। जय हिंद वन्दे मातरम नेताजी अमर रहे।

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