रावण सा भाई
गर्भवती माँ ने बेटी से पूंछा -
" क्या चाहिए तुझे, बहन या भाई ?"
बेटी बोली - भाई ।
किसके जैसा ? पिता ने लडियाया ।
रावण सा , बेटी ने जबाब दिया ।
क्या बकती है तू ? पिता ने धमकाया ,
माँ ने घूरा ।
बेटी बोली क्यों माँ -
बहन के अपमान पर राज्य वंश
और प्राण लुटा देने वाला ,
रावण जैसा भाई ही तो चाहिए,
हर लड़की को आज ।
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरुषोत्तम सा
भाई लेकर क्या करूंगी मैं ?
और माँ
अग्नि परीक्षा , चौदह बरस बनवास
और अपहरण से लांक्षित
बहु की कातर आहे
तुम कब तक सुनोगी
और माँ
कब तक राम को ही जनोगी ।
मेरी इस कविता को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद। 1998 में लिखी यह कविता अभी भी दुर्भाग्य से उतनी ही समसामयिक है।
जवाब देंहटाएंसुधा शुक्ला
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