नागफनी
नागफनी
चलते धरती पर खोजे थे
सब कुछ बिसरा बिसरा दिखता
झाड़ बचे थे नागफनी के . हर पल विहँसे खिलकर महके
ना डर ना परवाह खिंजा की ,
पुरवाई की राह न देखे
शांखे गुलिस्ताँ नागफनी की .
कमल कुमुदिनी ताल को प्यारी
ठुकराए जब शस्य श्यामला , बनती सिक्ता, जननी नागफनी की .
रत्न जड़ित पारितोषिक जग की
दुनिया ने सर आँख लगाईं ,
मेरे छोटी सी नगरी की
चाह चमन बस नागफनी की .
उत्तम; १४.८.93
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