मैं ऐसा कोई ख़्वाब नहीं कि ------
मैं ऐसा कोई ख़्वाब नहीं कि ------
खुली नज़र से बँधी अलक को मत झटको
बंद अँगुलियों से मत सोई आँख मलो.
मैं ऐसा कोई ख़्वाब नहीं कि
तू जगकर जिसको याद करे .
बिखरी घड़ियाँ युग्म मिलन को प्यासी.
बीते दिन का रूककर मत फरियाद करो.
मैं ऐसा बुत ताज नहीं, कि
अपने में मुझको तुम ले लो.
अली अभिशापित हो अच्छा लगता है,
एक पांव पर पपीहे को मत खड़ा करो.
मैं ऐसा स्वर्ण पात्र नहीं, कि
अपने अधरों का रस घोलो.
उपवन उजड़ेगी सौन्दर्य नहीं साश्वत सुंदरी ,
मेरे निर्मल कुटिया पर मन मत मलिन करों .
मैं ऐसा पुष्पहार नहीं, कि
कंटक वन से तुम खेलो.
तेरी बेसुध किलकारी से फटता जाता दिल बिरही ,
अश्रु दरिया उमड़ चली है सावन कि मत चाह करो.
मै ऐसी बरसात नहीं, कि
नेह दृगो से तुम रोलो .
उत्तम ९.७.९३
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