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जनवरी, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

काशी : धर्म और अध्यात्म की शीर्ष परंपरा

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'                   बनारस… वाराणसी… काशी… उत्तरप्रदेश में गंगा के किनारे बसा प्राचीन नगरी  का जीवंत एहसास वहां जाकर ही किया जा सकता है। सदियों से तीर्थभूमि के रूप में प्रसिद्ध बनारस आज भी पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और अन्वेषकों को निमंत्रित करता है। बनारस हर व्यक्ति के लिए अलग रूप में परिभाषित होता है। धर्म, दर्शन और साहित्य से संपूर्ण मानव जगत का हित पोषित करने वाला यह शहर रहस्य की तरह आकर्षक है।              बनारस का जिक्र  आते ही हमें बनारसी साड़ियों की याद आती है। बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है। जड़ी, बेलबूटे और शुभ डिजाइनों से सजी ये साड़ियां हर आयवर्ग के परिवारों को संतुष्ट करती हैं, उनकी जरूरतें पूरी करती हैं।                   बनारस अपने घाटों के कारण भी प्रसिद्ध है। प्रभात की  अरुनीमा के आगमन के पहले ही कशी के घाट जाग जाते हैं। सुबह के सन्नाटे में हर डुबकी के साथ आती ‘छप’ की आवाज निशा  की तंद्रा तोड़ती है। धीरे-धीरे बजती घंटे घड़ियालो के नाद और आरती की लय से नगर जागता है। बनारस नगर अवश्य है, मगर यहां नगर की भागदौड़  नहीं फकीरों की फक्कड़ी यहाँ के निव

आजाद या गुलाम

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आज फिर मन मेरा गुलामी की चाहत लिए वो गुलामी, बिलकुल वाही गुलामी जिसको एक महात्मा ने तोड़ा था. क्योकि आज आजादी की कीमत शायद मेरे दिलो दिमाग में गिर गयी बुझ सी गयी सच्चाई को मैंने आज राजघाट पर रोते पाया कल जब हथियारों को खुली सड़क पर बिकता देखा मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों से रक्तिम सरिता बहते देखा. इसी लिए फिर मेरा मन गुलामी की चाहत लिए एक महात्मा को ढूढता है.

अमृता प्रीतम - एक ख़त

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चाँद सूरज दो दवातें, कलम ने बोसा लिया लिखितम तमाम धरती, पढतम तमाम लोग साइंसदानों दोस्तों! गोलियाँ, बन्दूकें और एटम बनाने से पहले इस ख़त को पढ़ लेना! हुक्मरानों दोस्तो! गोलियाँ, बन्दूकें और एटम बनाने से पहले इस ख़त को पढ़ लेना! सितारों के हरफ़ और किरनों की बोली अगर पढ़नी नहीं आती किसी आशिक–अदीब से पढ़वा लेना अपने किसी महबूब से पढ़वा लेना और हर एक माँ की यह मातृ–बोली है तुम बैठ जाना किसी भी ठांव और ख़त पढ़वा लेना किसी भी माँ से फिर आना और मिलना कि मुल्क की हद है जहाँ है एक हद मुल्क की और नाप कर देखो एक हद इल्म की एक हद इश्क की और फिर बताना कि किस की हद कहाँ है। चाँद सूरज दो दवातें हाथ में एक कलम लो इस ख़त का जवाब दो और दुनिया की खैर खैरियत के दो हरफ़ भी डाल दो —तुम्हारी —अपनी— धरती

आँवला - बेहतरीन प्राकृतिक टोनिक

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                                                                   आँवला विटामिन 'सी' का सर्वोत्तम और प्राकृतिक स्रोत है और इसका  विटामिन 'सी' नष्ट नहीं होता।  मधुर, रक्तपित्त व प्रमेह को हरने वाला,अत्यधिक धातुवर्द्धक और रसायन  है।   जलन  पीलिया  रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, खाँसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। वीर्य को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है, चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता है। सिर के केशों को काले, लम्बे व घने रखता है। जैसे देवताओं में ब्रह्मा-विष्णु-महेश हैं वैसे ही आयुर्वेद में हरड़-बहेड़ा और आँवला की कीर्ति है।                     संस्कृत- आमलकी धात्री। हिन्दी- आँवला। मराठी- काम्वट्ठा, आंवला। लैटिन- एम्बिलिका आफिसिनेलिस। आँवले के 100 ग्राम रस में 921 मि.ग्रा.  गूदे में 720 मि.ग्रा. विटामिन सी पाया जाता है।  कैल्शियम 0.05,        फॉस्फोरस 0.02, प्रतिशत,         लौह 1.2 मि.ग्रा.,          निकोटिनिक एसिड 0.2 मि.ग्रा. पाए जाते हैं।                   उपयोग : त्रिफला की 3 औषधियों

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये.

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गठबन्धन सरकारे - सशक्ति या समझौता

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gazbanQana sarkaroM : saSai@t yaa samaJaaOta                  हमारे लोकतंत्र को पिछले ६० सालों के सफर में बहुत उतार चढ़ावों से गुजरना पड़ा है.   हमारे सामने कई चुनौतिया भी आई . कतिपय यैसे अवसर भी आये जब लगने लगा की हमारा   लोकतंत्र खतरे पड़ गया है. लेकिन हमारे लोकतंत्र की जड़े इतनी गहरी है तथा इसके प्रति हमारा विश्वास इतना अडिग है की विषम परिस्थितियों में भी हमारा लोकतंत्र और ताकतवर हुआ. हमने ४०५ की संख्या वाले बहुमत की सरकारें देखि है तो ४० सदस्यों वाले अल्पमत के दल   को भी सत्तारूढ़ होते देखा है. दोनों ही परिस्थितियों में हमारा लोकतंत्र पूरी तरह अडिग रहा. कभी  सर्वानुमति तो कभी घोर असहमति का भी वातावरण बना पर लोकतंत्र की मूल    भावना  कभी  आहत नही  होने पाई .   लेकिन  आज हमारे  लोकतंत्र में  नई फिनामेना देखने  को मिल  रही  -  वह है गठबंधन  की सरकार.           gazbanQana sarkarao kI AvaQaarNaa caaho ivavaSata hao yaa AavaSyakta pr yah laaoktM~ kI p`aOZ,ta kao hI roKaMikt krta hO. jaba kBaI iksaI dla Aqavaa naota kao pUNa- bahumat imalata hO tao AnauSaasana ko naam

नेताजी सुभाष चन्द्र बोष - अमर रहे।

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोष के जन्मदिन के उत्सव पर गंभीर विचार की जरुरत है क्या नेताजी आज के भारत को देख कर  संतुष्ट  होते जितने हम नागरिक है , गर्वान्वित होते जितने हमारे शासक बताते है? क्या नेताजी ने अपने आप को इस लिए न्योछावर किया कि आजाद भारत में नेता राष्ट्र की धमनियों व शिराओ से शोणित सोख ले। हम शक्तिहीन हो गए है या हमारा शोषक ( शासक ) अंग्रेजो से भी ताकतवर या आतताई हो गया है ? क्या हमारे अन्दर से निष्ठ भारतीय का विद्रोह मर चूका है? हमसे शायद आज के दिन नेताजी की आत्मा जरुर सवाल कर रही होगी। क्या हम आँख मिलकर सकारात्मक या हां में जबाब दे सकेंगे। जय हिंद वन्दे मातरम नेताजी अमर रहे।

ग़ज़ल

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न चाहता हूँ जन्नत से महक जाफरान की चाहता हूँ खुले खिड़की सदा उनके माकन की । उड़ता हुआ परिंदा हर बार रोया है कहाँ खो गई है सारिका शुक बेक़रार की। सुई बिना धागे जीस्त तेरे वियोग में सीने के शौक में मिला है दर्द ज़िगर का । इस चाहमें उड़ता रहा गली छत जवार में मिटटी में मिल सका अगर तेरे बाज़ार की। मैं जिंदगी फलक का वह आफताब हूँ रोशन चिरागे हो रहा आंधी में शाम की। उत्तम  

लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि

लाल बहादुर शास्त्री को देश श्रद्धांजलि दे रहा है खास तौर पर कांग्रेस, उचित भी है आवश्यकता भी। चुनावो का मौसम है कुछ फासले कटी जा सकती है । चुकी कांग्रेस ने शास्त्रीजी को इतना गोपनीय रखा है की देश धीरे धीरे भूल सा जाय और कांग्रेस को जब जरुरत पड़े झोले से निकले और मदारी जमूरे का खेल खेलकर चादर फैलादे , कुछ तमाशे पर भरोसा करके तो कुछ बन्दर की लाचारी पर सिक्के फेक देते है। भारत में आजादी के ६३ सालो में महापुरुषों के नाम को मदारी के डमरू की तरह बजाया जाता रहा इसी कड़ी में शास्त्री जी भी इस्तेमाल होते रहे है। हम कितने कृतघ्न है की अब तक शास्त्री जी की देश के प्रति त्याग निष्ठां और समर्पण को न सलाम कर सके और न ही उनके सादगी ईमानदारी देश सेवा को सम्मान दे पाए । एक छोटे कस्बे के छोटे कद के उस विशाल व्यक्तित्व को शत शत नमन । जय जवान जय किसान .

दिग्विजय सिंह संघ के पुराने वफादार

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दिग्विजिय सिंह संघ के पुराने वफादार तो थे ही साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया की समूची कांग्रेस पार्टी उनके इस वफ़ा की भागीदार रहती है.जैसा की पूर्व विदित है दिग्विजय सिंह के भाई लक्षमण सिंह संघ के स्वयं सेवक तथा भाजपा के संसद रह चुके है । इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह का सांप्रदायिक के साथ साथ जातिवादी चेहरा भी । क्योकि राहुल अगर यु पी में किसी गरीब के घर जाते है तो यह कहने के बजे की किसी भारतीय के घर गए यह कहा जाता है की दलित के घर गए मुस्लिमो के लिए घोषणा किये। अभी उत्तर प्रदेश में टिकटों के बटवारे में जाति के आधार पर प्रत्याशियों का चयन बिलकुल साफ़ करता है की कांग्रेस न केवल सांप्रदायिक है बल्कि जातिवाद के सडांध से भरी पड़ी है । इन सबसे बड़ी कांग्रेस की विशेषता है भ्रष्टाचार । भ्रष्टाचारियो को संरक्षण तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालो का दमन । भारत में राष्ट्रप्रेम राष्ट्र सेवा राष्ट्रहित की बात करने वालो पर कहर साबित करता है की कांग्रेस विदेशी मानसिकता विदेशिहित तथा विदेशी ताकतों से संचालित होता है