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अमृता प्रीतम - एक ख़त

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चाँद सूरज दो दवातें, कलम ने बोसा लिया लिखितम तमाम धरती, पढतम तमाम लोग साइंसदानों दोस्तों! गोलियाँ, बन्दूकें और एटम बनाने से पहले इस ख़त को पढ़ लेना! हुक्मरानों दोस्तो! गोलियाँ, बन्दूकें और एटम बनाने से पहले इस ख़त को पढ़ लेना! सितारों के हरफ़ और किरनों की बोली अगर पढ़नी नहीं आती किसी आशिक–अदीब से पढ़वा लेना अपने किसी महबूब से पढ़वा लेना और हर एक माँ की यह मातृ–बोली है तुम बैठ जाना किसी भी ठांव और ख़त पढ़वा लेना किसी भी माँ से फिर आना और मिलना कि मुल्क की हद है जहाँ है एक हद मुल्क की और नाप कर देखो एक हद इल्म की एक हद इश्क की और फिर बताना कि किस की हद कहाँ है। चाँद सूरज दो दवातें हाथ में एक कलम लो इस ख़त का जवाब दो और दुनिया की खैर खैरियत के दो हरफ़ भी डाल दो —तुम्हारी —अपनी— धरती