कैसे गीत मिलन के गाऊ,
कैसे गीत मिलन के गाऊ, कैसे निज मन को बहलाऊ. विरही विकल तरंगे जल की , सागर का श्रृंगार न समझो . मेघ पवन की मजबूरी को , अम्बर का खिलवाड़ न समझो. कैसे पपीहा को समझाऊ, कैसे स्वाति को बरसाऊ . भाव व्यथित उद्गार ह्रदय की , कवि मन का व्यवसाय न समझो. ओंस जड़ित पुष्प पंखडियो को , मुक्ता का उपहार न समझो . कैसे खंडित भाव जुटाऊ, कैसे नेत्रों को भरमाऊ. कैसे गीत मिलन के गाऊ, ...