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  गांधीजी चाहते थे भ्रष्ट कांग्रेस का दाह-संस्कार   महात्मा  गांधी ने  कार्यकर्ताओं से मई 1939 में कहा था- ‘‘मैं समूची कांग्रेस पार्टी का दाह-संस्कार कर देना अच्छा समझता हूं, बजाय इसके कि इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करना पड़े।’’ आज जब प्रधानमंत्री सहित देश के पंद्रह मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं, क्या अगर गांधीजी जीवित होते तो पार्टी का दाह-संस्कार कर देते? टीम अन्ना एक बार फिर मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के खिलाफ गंभीर आरोपों के साथ उतरी है और उसका दावा है कि वह इन आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत भी पेश करने का दावा कर रही है। टीम अन्ना का कहना है कि जब तक मंत्रिमंडल का शुद्धिकरण नहीं होगा, तब तक लोकपाल पास नहीं हो पाएगा। यह बात टीम अन्ना के लोग लंबे समय से कह रहे हैं। अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्य आज कांग्रेस पार्टी और अन्य दलों के भ्रष्टाचार पर जितना परेशान हैं, गांधीजी उससे कहीं ज्यादा थे, यह और बात है कि तब स्थिति इतनी दमघोंटू नहीं थी। नवंबर, 1938 में गांधीजी ने हरिजन में लिखा- ‘‘यदि कांग्रेस से अवैध और अनियमित तत्वों की सफाई