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जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दुर्गा "शक्ति" नागपाल का निलंबन

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दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन क्या सच में एक शासकीय व्यवस्था के अंतर्गत हुआ है ? क्या आधी रात में धार्मिक समूह इकट्ठे होकर कोई विवाद या तनाव का का वातावरण बना रहे थे ? आखिर येसा क्या हुआ जो अँधेरे में इतना अंधेरगर्दी वाला फरमान दिया गया? क्या इस मामले के बहाने पुरे इतिहास को नहीं खंगालना चाहिए की अब तक शासन और प्रशासन ने कितने अवैध धार्मिक अतिक्रमणों हटाया गया ? कितने आईएस अधिकारीयों को निलंबित  ( स्थानांतरण नहीं ) किया गया ? वह भी बिना किसी नोटिस और अपना पक्ष रखने का अवसर दिये. सत्ता में यह निरंकुशता और घमंड कहा से आया ? आम आदमी के प्राकृतिक सम्पदा के लुटेरों पर अंकुश के बदले कर्तव्यनिष्ठ, युवा , महिला और सर्वोच्च प्रतियोगिता  से चयनित प्रतिभाशाली अधिकारी को इस तरह से प्रताड़ना के जिम्मेदार हम भी होंगे अगर हमने अपना सशक्त और सार्थक असहमति नहीं जताया क्योकि एक भ्रष्ट और निरंकुश कथित सता को हटाकर अखिलेश यादव में नयी संभावनाओ के साथ बैठाया।  पर इनके अति छोटे शासनावधि में दर्जनों गंभीर दंगे हो चुके है परन्तु किसी किसी वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया. क्या मतलब साफ नहीं की हमारे

युद्ध : हार या या जीत

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                        १४ साल पहले जो हुआ विशेषतः भारत की दृष्टि से उस पर गर्व किया जा सकता है, किया भी जाना चाहिए. इसके विपरीत अगर पाकिस्तान के नजरिये से समझने की कोशिश करे तो अत्यंत शर्म और गहरी टीस का सबब रहा होगा . येसी घटनाओ से चाहे गर्व हो या शर्म थोपी हुयी  होती है . सरहद के इस पार या उस पार किसी ने भी नहीं  चुना था जंग. परिणाम उलट भी हो सकते थे. क्या सोचने की जरुरत नहीं चंद अहमक, क्रूर , कायर और सत्तान्धा राजनेताओ के गरूर और कुंठा के परिणाम को लाखो - करोंड़ों जिंदगियां स्वाहा हो जाती है, बेघर और अनाथ हो जाती है. हाथ क्या आता है ? झंडा फहरा कर जिंदाबाद करने के आलावा कुछ भी नहीं. क्या इससे विजयी सेना के शहीदों के परिवारों में हर्षित ख़ुशी होगी ? अनाथ बच्चे और विधवा विरान्गानों का नासूर पदको के पीछे से टीसता नहीं होगा ? युद्ध में विजयी कोई हो हारता सिर्फ मानवता है . सोचना तो पड़ेगा !!!!!!!!!!!  

संयुक्त परिवार

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संयुक्त परिवार की घटनाएँ बीते दिनों की बात हो गयी जब माँ बाप अपने बेटों बेटिओं, पोते पोतियों के साथ एक ही छत के नीचे रहा करते थे. यह संयुक्त परिवार की संस्कृति भारत में ब्रिटिश कल्चर के अतिक्रमण तक प्रभावी रहा. सिंगल  फैमिली कल्चर हमने अपने यहाँ अंग्रेजों से उधार में लिया. दुनिया में कुछ  भी येसा नहीं है जिसका सिर्फ लाभ हो और  हानि नही।           संयुक्त परिवार के लिए , परिवार चाहे बड़ा हो चाहे छोटा इसका सबसे बड़ा वरदान  परिवार के सभी सदस्यों के बीच शसक्त एकता की भावना होती है। हर एक सदस्य अपने आप को परिवार अंग  समझता है  अलग  नही। बच्चे पूरे परिवार के होते है सिर्फ माँ बाप के नही। यैसे परिवारों में यह कदापि संभव नहीं था की एक भाई के बच्चे पब्लिक स्कुल में और दुसरे के सरकारी स्कुल में,  कम से कम एक परिवार में किसी तरह की विषमता नही थी। सामान शिक्षा, समान  स्वास्थ्य और एक संस्कार मिलते थे। जटिलता वहां बहुतायत में दिखती थी जहाँ परिवार के प्रमुख सदस्यों की उपार्जन क्षमता अधिक होती थी वहां बच्चे नहीं तो माताएं अपने आप को उस व्यवस्था के शिकार के रूप में महसूस करते थे। किन्तु तब के संस्

HOW POLITICS CHANGES THEIR COLOURS ?

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नयी कहानी : प्यासा कौवा

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                           नयी कहानी : प्यासा कौवा एक कौवे को प्यास लगी थी, उसने घड़े में थोडा पानी देखकर कुछ कंकड़ इकठ्ठा किया । कंकड़ ज्यो ज्यो घड़े में पड़ता गया पानी चढ़ता गया जब पानी ऊपर पहुच गया तब कौवे ने पानी पीकर तृप्ति पायी । असल में कहानी यही ख़तम नहीं हुयी , जब कौवा उड़ा तो उसके दिमाग में क्रन्तिकारी विचार आया । उसने एक बड़ा पत्थर उठाया और घड़े पर गिर दिया । पूरा पानी बह गया ताकि दूसरा कोई नहीं पी पाए . यही बड़ा पत्थर का टुकड़ा था जनप्रतिधि एक्ट ८ (४), जिससे कुछ दागियों ने पानी तो पी लिया पर एक्ट ८ (४), को गिर दिया की ताकि वे तो असेम्बली या संसद में स्वयं तो बने रहे लेकिन कोई सामान्य आरोपित व्यक्ति वहाँ न पहुच सके । कोर्ट ने कौवे से वह पत्थर लेकर खास से आम बना दिया ।

तुलसी

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तुलसी   तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है   1.    शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि : संतान महिला को खिलाया जाता है , महिला को जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है   2.    तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।   3.    किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।   4.    तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है   5.    पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाईयां नहीं     रहती , फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है।   6.    फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा , सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।   7.    प्रतिदिन दिन में 4-5 बार तुलसी से 6-8

गंभीरता से सोचने की आवश्यकता नहीं ?

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पिछले   कुछ   दिनो   ने   भारतीय   जन   मानस   को   बहुत   आहत   किया   है ,   खासकर   मतदातों   उसमे   भी   युवको   को   जिन्हें   हमेशा   अपने   नेताओं   से   विकासोन्मुखी   और   आदर्श   नेतृत्व   की   अपेक्षा   रहती   है   ।   जब   कभी कर्नाटक   या   गुजरात   विधानसभा   से   खबरे   आती   है   की   हमारे   प्रतिनिधियों   का   आचरण   अनुकरणीय   नहीं   था   या   सीधे   सीधे   कहा   जा   सकता   है   शर्मनाक   लगा   ।   कभी   अभिषेक   मनु   सिंघवी   तो   कभी   समाजवादी   ( पार्टी   )   नेता   चौधरी   बाबु   यादव   या   कभी   BJP   नेता   और   मंत्री   राघव   जी   ।   प्रश्न   यह   नहीं   की   कौन   और   किस   पार्टी   से   है   बल्कि   आखिर   हमारे   राजनीती   और   राजनेताओं   का   नैतिक   और   चारित्रिक   पतन   इतना   क्यों होता   जा   रहा   है   ।   क्या   हम   भी   कही   जिम्मेदार   तो   नहीं   है   ?   कही   सत्ता   की   ताकत   उन्हें   निरंकुश   तो   नहीं   बना   रहा   है   ?    क्या   साधन   और   शिकार   उन्हें   बिना   रिस्क   आसानी   से   मिल   जाते   है   ?   क्या