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सबसे बड़ी अराजकता , महामहिम जी,

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                         " सांप्रदायिक शक्तियां तथा आतंकवादी अब भी हमारी जनता के सौहार्द तथा हमारे राज्य की अखंडता को अस्थिर करना चाहेंगे परंतु वे कभी कामयाब नहीं होंगे" " भ्रष्टाचार लोकतंत्र के लिए कैंसर की तरह है, जो हमारे राज्य की जड़ों को खोखला करता है"।-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी                              राष्ट्रपति महोदय ने उक्त बाते भी कहीं पर मिडिया के किसी धड़े ने इस पर एक मिनट भी चर्चा नही की. क्या केजरीवाल और सोमनाथ के आरोपों की पुष्टि स्वयं मिडिया नही कर रही है. अराजकता और पुरे न होने वाले वादो के संदर्भो को सीधे आम आदमी पार्टी से मिडिया ने जोड़ दिया . सवाल उठेगा की क्या सच में राष्ट्रपति महोदय एक मामूली घटना पर कटाक्ष के लिए महान पर्व और पद का उपयोग करेंगे . उनसे प्रश्न किया जायेगा कि शांतिपूर्वक धरना अगर अराजकता है तो राजनैतिक दलो कि रैलियो में जहाँ बसे जलायी जाती है, ट्रेन कि पटरियां उखड़ी जाती है , दुकाने लुटी जाती है दंगे फसाद होते , 1984 में सिखों कि बर्बर हत्याए , 1992 का मस्जिद विध्वंश और गृह युद्ध जैसा मारकाट, 2002 ,मुस्लिमो को ज

अराजक कौन ?

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                  दो दिन कि घटनाओ से बहुत सारी चीजे निकल कर आयी है।  बीजेपी और कांग्रेस ने संबिधान और गणतंत्र कि बहुत ऊंची ऊंची आदर्शे बतायी, यैसा लगा ६५ सालो से भारत में रामराज्य था।   सर्वथा संबिधान का राज्य था। अर्जुन को राजाश्रय नहीं मिला एकलव्य का अंगूठा नहीं कटा . किसी विप्र कि अकाल मृत्यु नहीं हुयी और न ही शम्बूक बध हुआ।   अराजकता और कानून टूटने पर विधवा विलाप वे  कर रहे  जिनकी अराजकता से आजादी की  उषा काल  रक्तिम हुयी . गांधी कि ह्त्या ही नहीं कि गयी बल्कि उसे  न्यायसंगत ठहराने कि वकालत की  जाती रही है .महात्मा गांधी कि हत्या क्या संवैधानिक  था या अराजकता के प्रतिकूल।  आज तो दिल्ली के 4 मेट्रो station और 3 VIP रोड बंद हुए थे मात्र 30 - 32 घंटे के लिए लेकिन  ६ dec  भाजपा कि पूरी उत्तर प्रदेश शासन, मुख्यमंत्री, कैबिनेट ,अटल, आडवाणी जोशी के साथ समूची , बीजेपी पार्टी ने  सारे राष्ट्र को कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा.   बाबरी मस्जिद विध्वंस ही नहीं हुयी 'गणतंत्र धराशायी' हो गया. संबिधान हत हुआ, बाबा साहब परिकल्पना और पटेल जी के श्रम से निर्मित ' अखंड समाज-अखंड राष्ट्र