संदेश

उम्मीद

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जब तिमिर निशा का घिरता था, हर  याद  सिमट कर  आती  थी. हरियाली  से  बाग भरा हो, आँखों  में  स्वप्न  समाई थी . वो  वेग  पवन  का पश्चिम से , तपते  सिकता  तूफानों में . लगे उजड़ने  एक  एक कर , पुष्प  उपवन की  डाली से . दुर्दिन  का दृश्य  बिखर गया, सदियों  की बहारे रूठ  गयी. यह देख कर दिल जो टूट गया, नेत्रों से अश्रु  प्रवाह  चला . शायद   दिल की ठंढक पाकर ,  सोचा फिर कोई फूल  खिले. था धैर्य इन्ही उम्मीदों से, पर पीड़ा के शूल मिले.                             उत्तम १५.६.१९...

क्या क्या भेंट तुम्हे मैं दे दू

क्या क्या भेंट तुम्हे मैं दे दू .          कैसी आस  तेरे चितवन में ,          कैसी प्यास तेरे चुम्बन में ,                              कैसी भूख तेरे अंतर में. क्या क्या भेंट तुम्हे मैं दे दू.          कैसी चाह विकल अभिलाष,          कैसी प्रीत विविध अहसास,                               कैसी हास तेरे उर वन में. क्या क्या  भेंट   तुम्हे मैं दे दू.          कैसे  नैनो  का संसार  ,     ...

कैसे गीत मिलन के गाऊ,

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कैसे गीत मिलन के गाऊ, कैसे निज मन को बहलाऊ.          विरही विकल तरंगे जल की ,          सागर  का श्रृंगार  न समझो .          मेघ  पवन की मजबूरी को ,          अम्बर  का खिलवाड़ न समझो. कैसे पपीहा  को  समझाऊ, कैसे स्वाति को बरसाऊ .          भाव व्यथित उद्गार  ह्रदय की ,          कवि मन का व्यवसाय न समझो.          ओंस जड़ित पुष्प पंखडियो को ,          मुक्ता का उपहार न समझो . कैसे खंडित भाव जुटाऊ, कैसे नेत्रों को भरमाऊ.           कैसे गीत मिलन के गाऊ,    ...

चाहता - रोकना अतीत को -

मैं चाहता हूँ  रोकना अतीत को -       अपनी पलको में,       देखना तुम्हारी नज़रों से .       इच्छाओं के वृक्ष पर -       फलीभूत भावनाए लटकी है,       सूरज की तरह .       बस  नेत्रों से उठा लो ,       अलको का घूंघट . मैं चाहता हूँ भेजना,       अनहद गूँजे-       शुभकामनाये,       अश्रुमुक्ता पर रंजित        इन्द्रधनुषी घटाओं के गावं  . मैं चाहता हूँ लिखना,        एक चिट्ठी  कली के नाम ,        " जो हम कर सकते है -         करते है, कोशिश, विश्वास ,     ...

ग़ज़ल

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भवरों में उलझती मचलती चली गयी, तिनके के सहारे बहकती चली गयी . साहिल पर बैठा रहा उसके दीदार को, आँखों मेरे धुल उड़ाती चली गयी . चीखा था चिल्लाया था एक हाथ लिए, समन्दर के बीच अंगूठा दिखाती चली गयी. मैंने तो जिंदगी भर थे फूल खिलाये, मंजिल तलक वह शूल बिछाती चली गयी. कोशिशों के बाद तो रोशन हुआ था घर, वह आई चिराग झटके से बुझाती चली गयी. उसकी इस अदा पर था लोगों को बहुत रंज, मुझे फक्र है पल भर तो हँसाती चली गयी. कयामत के अंत तक भी हँसता रहा हूँ मैं, जन्नत के महल में वह जलती चली गयी.                                              उत्तम २५.०५.९५   

चुनाव परिणाम - राजनैतिक दलों का दर्पण

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विजेताओं का राजतिलक और पराभूतों को सांत्वना हमारी सांस्कृतिक परम्परा रही है वैसी  ही  परम्परा  जीत को नम्रता से तथा हार को सहर्षता से स्वीकारने की रही है . समाजवादी पार्टी के अतीत का चरित्र जो भी रहा हो परन्तु अखिलेश यादव ने विजय को जिस शालीनता से स्वीकार किया उसमें राजनीति में युवा भविष्य की सकारात्मकता का काफी सशक्त और संवेदनशील चेहरा दिखाई देता है . जनांदोलनो को  कांग्रेस की अल्पमत की सरकार ने जिस दम्भ और क्रूरता से दमित किया, तंत्र से जन को मिटाने का प्रयास किया और बार बार हक के प्रतिवाद  में  चुनाव जितने की चुनौती दिया .  इसी  अहंकार  ने  जनता के कपीश ( हनुमान ) बल को जगा दिया . विजय पाना बहुत बड़ी  सफलता   तो है लेकिन जनता ने जिन उपेक्षाओं को नकार कर दिया,  विजेताओं को जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना उससे बड़ी चुनौती है . इन परिणामो पर सभी राज नैतिक दलों व नेताओ को विचार करने की जरूरत है खास कर कांग्रेस और बी ज...

Man is what he Beliefes

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Man is what he Beliefes " One person with a belief is equal to a force of ninty nine who have only interest " - John  stuart Mill. Belief is a one man army which can break an impregnable wall, Win a battle against a rag tag crowd without faith or conviction. Belief helps us to tap the hidden potential deep within us, creating and directing them to support our desired outcomes. Belief are the maps and compasses which guide us to know and reach our destination.             When is the best time to start towards those goals that we have clearly defined?  It is now we make new year resolutionor decisions. On doctor's advise we take medicines for some time, go out to exercise, contol our diet after sometimes say to ourself, " A little indulgence will not cause any harm." what is point in saying ; " If only I had the chance. " You may look back two decades from now and say , " I had the chance but did not begin....