प्रिय यामिनी





विभा सहेली प्रिये यामिनी ,

तूने पिला दिया है वारुणी ।

हर व्यसनों से बैर सदा थी,

तेरी प्रीत व्यसन पूजा थी ।



नींद कभी क्या देंगी दस्तक ,

तेरा दिल अब मेरा पनघट ।

जी करता है ढक दूँ चादर ,

अम्बर पर या ला दूँ बादल



तारों की बारात सजा कर

तेरे दिल के द्वार पर आकर ।

राहों में मैं दिल को ला दूँ ,

दिल को या चरणों में बिछा दूँ ।



शर्माने की तेरी अदा पर ,

सौ सौ बार मरा हूँ पल पल ।

आकर बाहें गच फैला दो,

प्रिये मुझे मय प्रीत पिला दो ।
उत्तम १२/८/९१














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