नयी कहानी : प्यासा कौवा

                         

 नयी कहानी : प्यासा कौवा
एक कौवे को प्यास लगी थी, उसने घड़े में थोडा पानी देखकर कुछ कंकड़ इकठ्ठा किया । कंकड़ ज्यो ज्यो घड़े में पड़ता गया पानी चढ़ता गया जब पानी ऊपर पहुच गया तब कौवे ने पानी पीकर तृप्ति पायी । असल में कहानी यही ख़तम नहीं हुयी , जब कौवा उड़ा तो उसके दिमाग में क्रन्तिकारी विचार आया । उसने एक बड़ा पत्थर उठाया और घड़े पर गिर दिया । पूरा पानी बह गया ताकि दूसरा कोई नहीं पी पाए . यही बड़ा पत्थर का टुकड़ा था जनप्रतिधि एक्ट ८ (४), जिससे कुछ दागियों ने पानी तो पी लिया पर एक्ट ८ (४), को गिर दिया की ताकि वे तो असेम्बली या संसद में स्वयं तो बने रहे लेकिन कोई सामान्य आरोपित व्यक्ति वहाँ न पहुच सके । कोर्ट ने कौवे से वह पत्थर लेकर खास से आम बना दिया ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बचपन

पपीता - फरिश्तों का फल