दुर्गा "शक्ति" नागपाल का निलंबन

दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन क्या सच में एक शासकीय व्यवस्था के अंतर्गत हुआ है ? क्या आधी रात में धार्मिक समूह इकट्ठे होकर कोई विवाद या तनाव का का वातावरण बना रहे थे ? आखिर येसा क्या हुआ जो अँधेरे में इतना अंधेरगर्दी वाला फरमान दिया गया? क्या इस मामले के बहाने पुरे इतिहास को नहीं खंगालना चाहिए की अब तक शासन और प्रशासन ने कितने अवैध धार्मिक अतिक्रमणों हटाया गया ? कितने आईएस अधिकारीयों को निलंबित
 ( स्थानांतरण नहीं ) किया गया ? वह भी बिना किसी नोटिस और अपना पक्ष रखने का अवसर दिये. सत्ता में यह निरंकुशता और घमंड कहा से आया ? आम आदमी के प्राकृतिक सम्पदा के लुटेरों पर अंकुश के बदले कर्तव्यनिष्ठ, युवा , महिला और सर्वोच्च प्रतियोगिता  से चयनित प्रतिभाशाली अधिकारी को इस तरह से प्रताड़ना के जिम्मेदार हम भी होंगे अगर हमने अपना सशक्त और सार्थक असहमति नहीं जताया क्योकि एक भ्रष्ट और निरंकुश कथित सता को हटाकर अखिलेश यादव में नयी संभावनाओ के साथ बैठाया।  पर इनके अति छोटे शासनावधि में दर्जनों गंभीर दंगे हो चुके है परन्तु किसी किसी वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया. क्या मतलब साफ नहीं की हमारे वोटो से शक्ति संजीवनी पाए नेता और सरकारे भ्रष्ट और लुटेरी जमात को सुरक्षा और संरक्षा दे रहे है बजाय इसके सत्यनिष्ठ, इमानदार और जन हितकारी तंत्र को सशक्त करने में सहयोगी बने ?  





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